दोस्ती Friends:
दोस्ती हमारे लिए क्यों जरूरी होता हैं?
दोस्ती ऊपर से बनकर नहीं आती, हम खुद बनाते हैं और हमें खुद तय करना होता है कि दोस्ती कब तक चलेगा। दोस्ती टूटनी चाहिए, या नहीं ये चीज हमें खुद तय करना होता हैं। इसलिए हम किसके साथ दोस्ती करना चाहते हैं, कैसा दोस्त होना चाहिए, हम सब ये नहीं सोचते, हम सिर्फ दोस्त बन जाते हैं। सामने वाला इंसान कैसा है ये सब बातें नहीं जानते। क्योंकी जिस इंसान से हमे दोस्ती होती हैं, वो हमेशा हमारे आस पास ही रहते हैं या उस इंसान से हम बार बार मिलते रहते हैं, या वो इंसान जो बार बार हमारी मदद करते रहते हैं और मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अक्सर उस इंसान से हमे दोस्ती हो जाती हैं। और हमें पता भी नहीं चलता। और धीरे धीरे वो इंसान कब हमारी जरूरत बन जाता है, पता भी नहीं चलता। फिर ये रिश्ता दोस्ती में बदल जाती हैं। इसके बाद कब आप जागते हो कब सोते हो कब स्कूल जाते हो कौनसी किताब पढ़ना अच्छा लगता है घर तुम्हारी कितनी इज्जत हैं, कौनसा खेल खेलना तुम्हें अच्छा लगता हैं, किस लड़की/लड़का से प्यार करते हो, किस चीज़ से तुम्हें डर लगता हैं, किस प्रकार की चीजो में आप एक्सपर्ट हों। मतलब एक दूसरे के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होते हैं, कमज़ोर चीजों से लेकर आपकी मजबूती तक हर एक पहलू को जनता हैं आपके जो दोस्त होते हैं। इसीलिए दोस्त से दोस्ती कभी नहीं तोड़नी चाहिए। बस धीरे से अलग हो जाना चाहिए मतलब किसी काम में व्यस्त हो जाना। नहीं तो एक दूसरे के लिए काफ़ी सारी समस्या उत्पन्न हो जायेगी, जिससे तुम दोनों का ही नुक्सान होगा।
ये दोस्ती जितनी गैहरी होती जाएगी, दोनों का विचार एक होता जाएगा फिर एक दूसरे के बारे में छोटी से छोटी बाते जानने लगेंगे।
अगर आपकी काफ़ी लम्बे समय तक चल रहा है तो दोस्ती दिल से नहीं निभाया जा रहा है। वो दोस्ती दिमाग से निभाया जा रहा है। और जो दोस्ती टूटती नहीं है, जानिए क्यूँ क्योंकि वो दोस्त का ही इस्तेमाल नहीं करते, जिनके दिल और दिमाग से दोस्ती नहीं होती वो टूट सकते हैं या नहीं। इसलिए दोस्ती टूटने लगेगी तो दिमाग से चलेगी और दोस्ती निभानी है तो दिल से और जो दोस्त ना दिल से दोस्ती निभाएंगे और ना दोस्ती तो टूटना तय है, चाहे कुछ भी हो जाए और जो लोग दिल से दोस्ती निभाते हैं वो बड़े साफ होते हैं।
दोस्ती कैसे हो जाती हैं?
आज के कंपीटीशन के दुनिया में अक्सर हमलोगो को अपने परिवार से घर से दूर जाना पड़ता है, पर आपने कभी ध्यान से सोचा है कि उस अकेलेपन के लम्बे समय को रोमांचक बनाकर आसानी से काटने में आपकी मदद कौन करता है; कोई और नहीं बस आपके साथ जो होते हैं। किसी संबंध को अगर आप कोई नाम नहीं दे सकें तो उसे आसानी से दोस्ती का नाम दिया जा सकता है। ये Give and Take के Rule को Follow नहीं करता, हाँ अगर ये ऐसी किसी संबंध में ऐसा कोई नियम है तो आपको दोस्ती का सिर्फ एक भ्रम है। दोस्ती नहीं। इसमें किसी Formality या किसी Discipline की जरुरत नहीं होती। अपने दोस्तों से अपने दिल कि बात कहने के लिए आपको किसी खास समय का इंतज़ार नहीं करना पड़ता। आप ये नहीं सोचते कि आपके दोस्त क्या सोचेंगे। और अगर क्षण भर के लिए ये विचार आपके मन में आता भी है तो आप कहते है ‘तो क्या हुआ दोस्त ही तो है ज़रूर समझ जायेगा! इसीलिए हम अपने दोस्त से जो मन करे वो बोलते हैं, जो मन करे वो करते हैं।
दोस्ती टूटने के कई कारण हो सकते हैं? / दोस्ती क्यों टूट जाते हैं?
किसी लड़की की वजह से, तो बार-बार गलती करके, कभी झूठ बोलकर, धोखा देकर, नाम से दोस्ती (धोखा देकर) और भी कारण हो सकते हैं...
हम कितना भी अच्छा कर लें, अगर सामने वाले के मन में आपके परती कुछ गलत बैठ गया हैं, तो आप कितना भी कोशिश कर लो, आपकी दोस्ती जारी नहीं रह सकती है, चाहे आप जितना जोड़ लगा ले। और आप चाहें तो इसे तोड़ सकते हैं और जिसने भी ऊपर दिए गए कारणों में से किसी एक के कारण दोस्ती को तोड़ा है। इसे आंखों से ऊपर न उठने दें, भले ही यह महत्वहीन हो जाए, किसी से मदद मत मांगो, मददगार बनो।
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