मेरा गाँव:
- गांव खुशियों का एक छोटा सा ठिकाना है। मैं भी एक छोटे से गांव में रहता हूं, मेरा बचपन गांव में ही बीता हैं। जहां अधिकांश लोग किसान ही होते हैं, और मैं भी एक किसान ही हूं मेरे पिताजी कई तरह के फसल उगाने के बारे में गांवों के लोगो को नई नई तकनीक बताते रहते हैं। कभी कभी मुझे भी खेती करने की तकनीक बताते रहते हैं, और गांव के लोगो का मुख्य पेशा खेती है।
- हालांकि देश एक छोटा सा हिस्से को गांव या ग्रामीण कहा जाता हैं जहां शहरों जैसी आधुनिक सुविधाएं तो नहीं होती लेकिन शांति जरूर होती हैं गाँव का जीवन शहर से कुछ अलग होता है लोग शहर के जीवन की तरह जल्दी में नहीं होते हैं। शहर की तरह बड़े बड़े छायादार बिल्डिंग तो नहीं होती लेकिन बड़े बड़े छायादार पेड़ जरुर होते हैं गाँव ज्यादातर शहरी सभ्यता की सुख सुविधा से दूर स्थित होता हैं। प्रकृति की सुंदरता का अनुभव गांव में ही किया जा सकता है। क्योंकि हमारे गांवो में पेड़ों, फूलों, सड़क, नदियों और खेतों से घिरा हुआ होता है।
गाँव के लोग:
- गाँव के लोग बहुत ही सादा जीवन जीते हैं। गांव में कोई प्रदूषण नहीं है और हवा में ताजगी महसूस की जा सकती है।
- क्योंकि यहां शहर की तरह गाड़ी नहीं चलती, लेकिन हां हमारे यहां बेलगारी जरुर चलती हैं शहर की तरह तो टेक्नोलॉजी हमारे यहां तो नहीं होती हैं लेकिन आज भी एक TV गांव के किसी भी जगह पर चलता है तो गांव के सभी लोग TV देखने के लिए जमा हो जाता हैं गाँव का जीवन संतोष और खुशियों से भरा होता है, स्वच्छ पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल, उचित स्वच्छता कुछ ऐसी सुविधाएं हैं जिनकी गांवों में कमी है। हमारी गरीबी हमेशा हमारे वातावरण में दिखाई देती है। पंचायती राज व्यवस्था अभी भी गाँव में प्रचलित है और वे सभी गतिविधियों की निगरानी करते हैं। ग्रामीण आमतौर पर बहुत अंधविश्वासी होते हैं। मेरा गाँव सिर्फ दो सौ लोगों की आबादी वाला एक छोटा सा गाँव है। हमारे गाँव की ओर जाने वाली सड़क के दोनों ओर बड़े-बड़े पेड़ हैं और वे जीवन से इतने हरे–भरे हुए होते हैं मानो वे हमारे गाँव में आने वाले सभी लोगों को स्वागत करने के लिए खुशी से नाच रहे हों। ऐसा मनमोहक दृश्य मैंने और कहीं नहीं देखा।.
हमारा गाँव:
- गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय है जहाँ आज भी गाँव के सभी बच्चे खिचड़ी खाने के नाम पर पढ़ने के लिए जाते हैं। और मुझे उसे देखना अच्छा लगता है, जबकि कक्षाएं चल रही होती हैं।
- एक छोटी सी किराना की दुकान है जहाँ जीवन यापन के लिए मूलभूत आवश्यकताएँ उपलब्ध होती हैं। किराने की दुकान के अलावा, एक चाय की दुकान हैं, चाय की दुकान सभी ग्रामीणों के लिए शाम के समय मुख्य बैठक स्थल है, यह हमेशा चाय की चुस्की लेने और गपशप करने वाले लोगों से भरा रहता है, जो एक दूसरे को दुनिया की खबरें सुनाते हैं। गांव के प्रवेश द्वार पर एक मंदिर है जहां अक्सर प्रार्थना, अनुष्ठान और अन्य पूजा गतिविधियां होती रहती हैं। गांव के मंदिर के पास एक बड़ा तालाब है जहां युवा और बूढ़े सभी तैरते हैं और नदी में स्नान करते हैं। और तलाब के किनारे आम के पेड़, लीची के पेड़ और एक बड़ा पीपल के पेड़ से घिरा हुआ है। कई फूलों और आम की कलियों की महक हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचती है। नदी के किनारे स्थित पीपल के पेड़ के पास एक वैध रहते हैं जो हर किसी का ईलाज करते हैं जिसके पास कोई भी टेक्निकल एजुकेशन सिस्टम और ना ही किसी भी प्रकार का ऑपरेशन थिएटर फिर भी सभी का ईलाज सही से करते हैं वे बुखार और पेट दर्द जैसी बुनियादी बीमारियों की देखभाल कर सकते हैं। लेकिन जटिल बीमारियों और दवाओं के लिए लोगों को शहर जाना पड़ता है। भारत की अधिकांश आबादी तो गांवों में ही बसे हुए किसान होते हैं। मेरे गाँव में एक डाकघर है। जो स्कुल के बगल में है जिसे हमलोग डाकपिन कहते हैं जैसे डाकपिन आ गया या डाकपीन का घर हैं।
गाँव की प्रसिद्ध स्थान:
- मेरा पसंदीदा स्थान एक छोटा सा तलाब के किनारे आम का पेड़ है। मुझे वहां जाना और समय बिताना मुझे अच्छा लगता है क्योंकि नदी के पास घास के मैदान और पहाड़ियां हैं। जब भी मैं उदास होता हूं तो यहां आता हूं और शांत वातावरण के कारण मुझे बहुत आनंद की अनुभूति होती है। कुछ ताजी और जैविक सब्जियों और फलों का आनंद लेने को भी मिलता है। मेरे गांव के लोग एक बड़े परिवार की तरह रहते हैं जो हमेशा एक-दूसरे का ख्याल रखता है। बहुत मददगार होते हैं, यह कृत्य हमें शायद ही शहर में देखने को मिले।
गाँव का पर्व:
- साल में एक बहुत बड़ा मेला लगता है और ये मेला दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर आयोजित किया जाता है। सार्धालु पूजा करने वाले, मेला देखने वाले बहुत दूर दूर से आते हैं। मेला में बिकने वाले जलेबी और हरेकमाल दस रूपए यही दोनो प्रसिद्ध हैं। और कई सारे पर्व एक ही साथ आ जाते हैं जैसे दीपावली, होली जिसे सभी लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
गाँव का महत्व:
- वास्तविकता तो यह है कि गाँव के लोग एक दूसरे पर आश्रित नहीं हो इसीलिए रात–दिन मेहनत करते रहते है, जिसे नॉन स्टॉप गतिविधि का केंद्र भी कहा जाता है। जैसा कि आपको मालूम है की गांव के लोग कृषि पर आश्रित हैं उतना ही कठिन कृषि करना है इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। गांव के लोग बहुत ही कड़ी मेहनत करते रहते है शहर की तरह ac या कूलर में नही रहते, दिन के दोपहर उस चील चिलाती धूप में भी किसान अपना काम करते रहते हैं और हमेशा गेहूं, चावल और दाल उगाने के नए तरीके खोजने की कोशिश करते रहते हैं। गांव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे देश के लिए कृषि उत्पादन का प्राथमिक क्षेत्र है। गाँव भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह पर्यावरण के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। क्योंकि ग्रामीणों का मुख्य पेशा खेती ही होती है। वे देश के कृषि उत्पादन का प्राथमिक स्रोत हैं।
गांव का विवरण:
- गाँवों का अधिक विवरण करूं तो गाँवों में या तो फूस की झोपड़ियों मिलेगी की छोटे-छोटे बस्तियाँ हैं या पत्थरों और ईंटों वाली छत के घरों की बड़ी बस्तियाँ हैं। और कच्ची पक्की सड़क, कुछ कलाकारों और फिल्म निर्माताओं द्वारा एक धारणा बनाई गई है कि एक भारतीय गांव मिट्टी से ढकी हुई दीवारों का एक छोटा सा, साधारण समूह है, जो हरे भरे खेतों के बड़े विस्तार को देखकर कुछ लोग धीरे-धीरे चलते रहते हैं और निश्चित रूप से बैलगाड़ी को भी दिखाते हैं। गांव की किसी महिला को अपने सिर पर एक बर्तन के साथ चित्रित करते हैं और सुंदर ढंग से चलते हुए उसकी स्कर्ट धीरे से लहराती हुई दिखाते है।
मेरा निष्कर्स:
- गांव शहर की तरह तो नहीं होगा, लेकिन शहर की तरह तकनीक होनी चाहिए। उनके पास उत्थान करने का एक अच्छा स्रोत होना चाहिए। मैं सरकारी अधिकारियों से अनुरोध करूंगा कि वे आगे आएं और गांव में चिकित्सा, शैक्षिक और कृषि सुविधाओं का उत्थान करें। उन्हें खेती में इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक तकनीकों के बारे में बताए, ज्ञान दे, और उन्हें फसलों के सही बाजार मूल्य का मुआवजा दे, क्योंकि देश के कृषि उत्पादन का प्राथमिक स्रोत गांव ही होता अगर गांव ही नहीं होगा तो शहर कहां होगा हैं।
||Helpsme24h||
0 Comments